ताबड़तोड़ धमाकों से दहला इलाका,दमकल कर्मियों ने कड़ी मशक्कत कर आग पर पाया काबू
लखनऊ। राजधानी लखनऊ के हजरतगंज स्थित लेवाना होटल में हुए भीषण अग्निकांड में चार लोगों की मौत के बाद भी पुलिस और दमकल विभाग के अधिकारी अवैध रूप से शहर में चल रही फैक्ट्रियों और प्रतिष्ठानों पर लगाम नहीं कस पा रहे हैं।
पुलिस, दमकल और प्रशासन के अधिकारियों की नाकामी से मंगलवार देर शाम पारा के सलेमपुर पतौरा में तारपीन के फैक्ट्री में भीषण आग लग गई।
अग्निकांड के दौरान केमिकल के ड्रम फटने से हुए ताबड़तोड़ धमाकों से इलाके में दहशत फैल गई। इस बीच दौरान फैक्ट्री के अंदर आग की लपटों में घिरकर एक मजदूर की मौत हो गई। वहीं मौके पर पहुंची दमकल की आधा दर्जन गाडिय़ों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।
गैलरी में रखे थे ड्रम…कमरे में फंस गया मजदूर
उन्नाव औरास निवासी पंकज दीक्षित का सलेमपुर पतौरा की विष्णु विहार कॉलोनी में दो मंजिला मकान है। पहले तल पर पंकज परिवार संग रहता है। भूतल पर तारपीन तेल की फैक्ट्री खोल रखी है। मंगलवार शाम को पंकज परिवार के साथ घूमने के लिए गया था। फैक्ट्री में उन्नाव असीवन निवासी सुशील समेत पांच मजदूर काम कर रहे थे।
रात करीब 6.45 पर आग लग गई। लपटें उठते देख चार मजदूर किसी तरह से बाहर भाग आए। सुशील अंदर वाले कमरे में था। जिसे बाहर निकले का मौका नहीं मिला। मजदूरों के मुताबिक गैलरी में तारपीन तेल से भरे ड्रम रखे थे। जो लपटों की चपेट में आने से फट गए।
धमाके के बाद आग फैलते हुए अंदर के कमरे तक जा पहुंची। जिसमें जल कर सुशील की मौत हो गई। इंस्पेक्टर दधिबल तिवारी ने बताया कि दमकल की चार गाडिय़ों की मदद से आग पर काबू पाया जा सका है। कमरे से सुशील का शव जली हुई हालत में मिला है।
हादसे का पता चलने पर भी नहीं लौटा मालिक
मंगलवार शाम को फैक्ट्री मालिक पंकज परिवार के साथ घूमने के लिए गया था। फैक्ट्री में आग लगने से मजदूर की मौत होने का पता पंकज दीक्षित को परिचितों से चल गया था। लेकिन वह घर वापस नहीं आया। इंस्पेक्टर दधिबल तिवारी ने बताया कि फैक्ट्री में आग से बचाव के इंतजाम नहीं थे। सुशील की पत्नी अर्चना से तहरीर देने के लिए कहा गया है। जिसके आधार पर पंकज दीक्षित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
आक्रोशित स्थानीय लोगों ने काटा हंगामा
घनी आबादी के बीच पुलिस संरक्षण में चल रहे अवैध फैक्ट्री में मजदूर की जिंदा जलकर मौत के बाद आक्रोशित स्थानीय लोगों ने सड़क जाम कर प्रदर्शन किया। मृतक आश्रित परिवार को 20 लाख रुपये मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी की मांग कर घंटों हंगामा करते रहे।
बवाल की सूचना पर जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार और आलाधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने मृतक आश्रित परिवार को पांच लाख रुपये के मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि पारा पुलिस के संरक्षण में सालों से घनी बस्ती के बीच फैक्ट्री चल रही थी।