घुमंतू गिरोह पर नजर रखने के लिए पुलिस अलर्ट
रात 10 बजे सुबह 5 बजे तक होगी विशेष निगरानी,तेजी से होगा वेरिफिकेशन पुलिस रात में घूमने वालों पर नजर रखने के साथ उनसे पूछताछ कर रही है।
राजधानी में सर्दियों का मौसम आते ही घुमंतू गिरोह की सक्रियता बढऩे के इनपुट मिलते ही पुलिस अलर्ट मोड पर आ गई है। अधिकारियों ने सभी थानेदारों को रात दस बजे से सुबह पांच बजे तक विशेष निगरानी के निर्देश दिए हैं।
डीसीपी उत्तरी एमएस कासिम आब्दी के मुताबिक, सर्दी के मौसम में घुमंतू गिरोह सक्रिय हो जाते हैं। इसलिए दिसंबर से फरवरी तक पुलिस की रात्रि गश्त को बढ़ा दिया जाता है।ग्रामीण इलाकों, रेलवे पटरी किनारे, झोपड़ पट्टी और किराये पर आने वालों लोगों के सत्यापन की प्रक्रिया को तेज कर दिया जाता है।
पुलिस कर्मियों को अपने इलाकों में गश्त तेज करने के निर्देश दिए गए हैं। लोगों को किरायेदार सत्यापन और घरों में सुरक्षा सीसीटीवी कैमरा लगाने की सलाह दी जा रही है।
शहर में लाखों किराएदार, वैरीफिकेशन के नाम पर खानापूर्ति
मकान मालिकों की लापरवाही और वेरिफिकेशन में हीलाहवाली का फायदा अपराधी उठा रहे हैं।
पुलिस किरायेदारों के पुलिस वेरिफिकेशन के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रही है। ज्यादातर मकान मालिक किराएदार का पुलिस सत्यापन नहीं कराते हैं।
जबकि यूपी पुलिस के यूपी कॉप एप को डाउनलोड कर किरायेदार से लेकर नौकर तक के सत्यापन की सुविधा उपलब्ध है। एप पर सत्यापन का एक प्रोफार्मा है। जिसमें संबंधित की डिटेल दर्ज करानी होती है। इसके बाद पुलिस वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू कर देती है।
घुमंतू गिरोह के बदले रूप ने बढ़ाई पुलिस की चुनौती
घुमंतू गिरोह ने समय के साथ अपने अपराध का तरीका बदला है। यह लोग बस्ती में किराए पर कमरा लेकर आसपास के लोगों से घुल मिल जाते हैं और रात को घटनाओं को अंजाम देते। बावरिया,
कच्छा-बनियान जैसे घुमंतू गिरोहों के अपराध करने का तौर तरीका बेहद खतरनाक है। मूल रूप से राजस्थान के भरतपुर इलाके की यह जनजाति घटना के वक्त हिंसा करते हैं।यह लोग हथियारों की जगह लोहे की राड का इस्तेमाल करते है और विरोध पर इसी से हमला करते है।
वारदात को अंजाम देने के लिए वह लोकल स्तर पर पिकअप, टेंपो और ऑटो किराये पर लेकर घूमते हैं। जिससे चेकिंग या पुलिस के रोके जाने पर ड्राइवर मैनेज कर सके। साथ ही यह लोग अब जींस और टी शर्ट पहनकर घूमते है जिससे इन पर कोई शक न कर सके।