एक दौर में बॉलीवुड की सबसे बोल्ड अभिनेत्रियों में से एक रहीं मल्लिका शेरावत काफ़ी समय से फ़िल्मों से दूर हैं.
अब वो रजत कपूर की फ़िल्म से वापसी कर रही हैं.
ऐसे में मल्लिका शेरावत ने बीबीसी हिन्दी से ख़ास बातचीत की है और अपने अब तक के करियर को लेकर कई बड़े दावे किए हैं.
उनका कहना है कि कई फ़िल्म तो उन्होंने इसलिए गंवा दिए क्योंकि वो ”समझौता” करने के लिए तैयार नहीं हुईं.
मल्लिका शेरावत का कहना है कि वो एक ऐसे परिवार से आती हैं, जहाँ फिल्मों में काम करने के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था. वेस्टर्न कपड़े पहनना या देर शाम घर से बाहर निकलने की भी मंज़ूरी नहीं थी.
वो कहती हैं, ”मैं हरियाणा के एक ट्रेडिशनल परिवार से आती हूँ. मेरे माता-पिता रूढ़िवादी विचारों वाले थे. उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं था कि मैं वेस्टर्न कपड़े पहनूँ. मुझे कभी याद नहीं आता कि उन्होंने मुझे मेरी सहेलियों के साथ नाइटआउट करने की छूट दी हो. यहाँ तक कि डिनर करने की भी अनुमति नहीं थी. अंधेरा होने के पहले मेरे भाई और मुझे घर के अंदर आ जाने के लिए कहा जाता था.”
ल्लिका बचपन से ही अभिनेत्री बनना चाहती थीं लेकिन उनके घरवालों से इससे आपत्ति थी.
मल्लिका का कहना है, ”मेरे पिता ये सोच भी नहीं सकते थे कि लड़की या एक महिला का ऐसा भी ड्रीम हो सकता है. उनके हिसाब से लड़कियों को घर संभालने वाली और पत्नी होना चाहिए.”
मल्लिका का कहना है कि उनके घरवालों ने कभी उनका समर्थन नहीं किया और इस बात से वो अब दुखी नहीं होतीं.
अपने बचपन का क़िस्सा सुनाते हुए मल्लिका का कहना है कि बचपन से ही उन्होंने अपने परिवार में ही भेदभाव झेला है.
मल्लिका कहती हैं, ”बहुत भेदभाव देखा है मैंने. हरियाणा में मुझे ऐसा लगता है कि पुरुषों को हर तरह के अधिकार हैं, वो कुछ भी पहने, कहीं भी जा सकते हैं कितना भी पैसा खर्च कर सकते हैं. परिवारवालों को फ़र्क़ नहीं पड़ता. हो सकता है कि मैं ग़लत हूँ लेकिन मैं अपने अनुभव के आधार पर बोल रही हूँ.”
वो आगे कहती हैं, ”मेरी नानी मेरे मुँह पर बोला करती थीं-‘तू लड़की है, तेरा कुछ मायने नहीं रखता है, ये लड़का है ये परिवार का नाम बढ़ाएगा.’
मुझे लगा कि शायद ये सच होता होगा. मेरी माँ ने कभी भी नानी को नहीं बोला कि ऐसा मत बोलो ये ग़लत है.”
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मुझे एंट्री के लिए ज़्यादा संघर्ष नहीं करना पड़ा
मल्लिका का कहना है कि जब उन्होंने परिवार से ‘बग़ावत’ कर घर छोड़ा था तो दिल में बस एक ही सपना था कि बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई जाए.
शुरुआती काम हासिल करने में उन्हें कुछ ख़ास दिक्क़त नहीं हुई, ”मेरा पहला ऐड बच्चन साहब के साथ था. दूसरा ऐड शाहरुख़ ख़ान के साथ, दोनों ऐड इतने लोकप्रिय हो गए कि मुझे फिल्में मिलनी शुरू हो गईं, भट्ट साहब की मर्डर मिल गई.”
”मर्डर” साल 2004 में रिलीज़ हुई थी. इस फ़िल्म में मल्लिका शेरावत के साथ इमरान हाशमी मुख्य भूमिका में थे.
समझौता नहीं
मल्लिका शेरावत का दावा है कि ऐसे कई मौक़े आए जब उनसे रोल छीन लिया गया क्योंकि उन्होंने ‘झुकने’ से इनकार कर दिया.
वो कहती हैं, ”मेरा बहुत नुकसान हुआ. हीरो को अपनी गर्लफ्रेंड को फ़िल्म में डलवाना होता था. कितने रोल छूट गए क्योंकि मैंने हीरो के साथ समझौता नहीं किया. इस वजह से मैंने रोल गंवाए. मुझे याद है कि मेरे पास 65 स्क्रिप्ट पड़ी थी और इनमें से मुझे एक भी रोल नहीं मिल सका क्योंकि हीरो की आपत्ति थी.”
‘गुरु’ फिल्म में रोल काटे जाने को लेकर मल्लिका दावा करती हैं कि इस फ़िल्म में उनका किरदार एक मज़बूत सपोर्टिंग किरदार का था लेकिन इसे एडिट कर दिया गया और महज़ एक गाना ही फिल्म में रखा गया. साल 2007 में आई अभिषेक बच्चन की फिल्म ‘गुरु’ का ‘मैया-मैया’ गाना काफ़ी लोकप्रिय हुआ था. इस गाने में मल्लिका शेरावत नज़र आई थीं.
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