श्रवण साहू हत्याकांड: 8 आरोपियों को उम्रकैद, सभी पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया

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7 साल बाद सभी आरोपियों को मिली सजा

लखनऊ । व्यापारी श्रवण साहू हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट ने 8 दोषियों उम्रकैद की सजा सुनाई है। मामले में हिस्ट्रीशीटर अकील अंसारी, सत्यम पटेल, अमन सिंह, विवेक वर्मा, बाबू खान, फैसल, अजय पटेल, रोहित मिश्रा को उम्रकैद की सजा मिली है। कोर्ट ने सभी पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

अकील और सत्यम को फांसी दी जाए

कोर्ट के फैसले पर श्रवण साहू की पत्नी निर्मला और बड़े बेटे सुनीत साहू ने कहा कि अकील और सत्यम को फांसी दी जाए। इनके लिए उम्रकैद की सजा सही नहीं है। उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ से भी मांग करते हुए कहा कि परिवार की मदद करें और अकील अंसारी और सत्यम को फांसी की सजा दिलवाएं। पिता और भाई की हत्या के बाद अभी भी हम लोगों में खौफ रहता है।

अकील अंसारी को प्रदेश के बाहर जेल में शिफ्ट किया जाए और हम लोग को जो सुरक्षा दी गई है वह बरकरार रखी जाए। परिवार वालों का दावा है कि अकील जेल से अपना गिरोह अभी भी चला रहा है।

एक फरवरी 2017 को हुई थी श्रवण साहू की हत्या

 

सआदतगंज में रहने वाले तेल कारोबारी श्रवण साहू की हत्या एक फरवरी 2017 को उनके घर के सामने गोली मारकर कर दी गई थी। वह अपने बेटे के हत्यारों के खिलाफ अदालत में मुकदमा लड़ रहे थे। श्रवण के बेटे आयुष साहू की हत्या साल 2013 में कर दी गई थी, जिसके वह इकलौते गवाह थे।

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बाइक से आए थे दो शूटर

एक फरवरी 2017 की रात करीब 8 बजे सआदतगंज के बड़े चौराहे पर तेल कारोबारी श्रवण कुमार साहू अपनी दुकान पर हिसाब किताब कर रहे थे, तभी एक बाइक से दो शूटर पहुंचे और श्रवण साहू को ताबड़तोड़ पांच गोलियां मारी। जिसमें एक गोली श्रवण साहू के सिर में लगी। घटना को अंजाम देकर दोनों उसी बाइक से फरार हो गए। श्रवण साहू को आनन-फानन में ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था।

 

बेटे की पहले हो चुकी थी हत्या

श्रवण साहू के छोटे बेटे आयुष साहू की हत्या 16 अक्टूबर 2013 को कैंपवेल रोड पर एक बीयर शॉप में हुई थी। घटना के दिन आयुष अपने दोस्तों आकाश और नितिन के साथ बीयर पीने के लिए कैंपबेल रोड स्थिति बीयर शॉप पर गया था। शॉप में बीयर की एक ही ठंडी बोतल बची थी। आयुष ने बीयर ले ली और पैसा सेल्समैन को दे दिया। तभी हिस्ट्रीशीटर अकील भी बीयर शॉप पर पहुंचा और वह भी उसी बोतल के लिए सेल्समैन पर दबाव बनाने लगा। इसको लेकर आयुष और अकील में विवाद हो गया, जिसमें अकील अंसारी ने गोली मार कर आयुष की हत्या कर दी। फायरिंग में आयुष के दोनों साथियों को भी गोली लगी थी।

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व्यापारियों से वसूली करता था

अकील ठाकुरगंज का रहने वाला हिस्ट्रीशीटर अकील सीरियल किलर भाइयों (सलीम, सोहराब और रुस्तम) का करीबी था और पहले उन्हीं के इशारे पर व्यापारियों से वसूली करता था। बाद में अकील माफिया मुख्तार गैंग में शामिल हो गया। पिस्टल निकाल कर धमकी देना उसकी आदत में शुमार था।आयुष साहू की हत्या के मामले में ठाकुरगंज पुलिस ने अकील को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। कुछ महीने जेल में रहने के बाद वह जमानत पर बाहर आ गया था।

पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर रची थी साजिश

श्रवण साहू अपने बेटे आयुष साहू की हत्या की मजबूती से पैरवी कर रहे थे। जेल से बाहर के बाद अकील ने कई बार उन्हें पैरवी नहीं करने के लिए धमकी भी दी। लेकिन, श्रवण साहू पीछे हटने को तैयार नहीं थे।

आखिरकार, अकील ने अपने करीबी लखनऊ पुलिस के एसओजी प्रभारी धीरेद्र शुक्ला और पारा थाने के सिपाहियों से मिल कर श्रवण साहू को फंसाने की प्लानिंग बनाई। 10 जनवरी 2017 को दरोगा धीरेंद्र शुक्ला ने चार युवकों (कामरान, अफजल, तमीम और अनवर) को आर्म्स एक्ट में पकड़ा। अकील ने साजिश करते हुए आरोप लगाया कि श्रवण साहू उसे मरवाना चाहते हैं। पकड़े गए चारों युवकों को श्रवण साहू ने 20 लाख की सुपारी दी थी। आरोप पर पुलिस ने श्रवण साहू को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद तत्कालीन एसओजी प्रभारी ने साजिश का पर्दाफाश कर दिया। दावा किया कि अकील ने प्लानिंग के तहत श्रवण साहू के जेल भेजने की साजिश रची थी। जिससे वह आयुष हत्याकांड में पैरवी न कर सकें। यह भी खुलासा हुआ कि जिन चार युवकों को पारा थाने से जेल भेजा गया था, वह चारों अकील के ही गुर्गे थे।

 

पुलिस वालों की बर्खास्तगी के साथ हुआ था मुकदमा

मामले में तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने एसओजी प्रभारी धीरेंद्र शुक्ला सहित इस प्लानिंग में शामिल 14 पुलिस वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इतना ही नहीं, एसएसपी मंजिल सैनी ने दरोगा धीरेंद्र शुक्ला, सिपाही धीरेंद्र यादव और अनिल सिंह को बर्खास्त कर दिया था। सिपाही राजाराम पांडेय, सुजीत कुमार, विवेक मिश्रा, आलोक पांडेय, लवकुश मिश्रा को सस्पेंड कर दिया। दरोगा मोर मुकुट पांडेय, पंकज सिंह, संजय खरवार और दरोगा विनय कुमार को लाइन हाजिर किया गया था। प्रभारी निरीक्षक श्याम नारायण यादव, प्रभारी चौकी मोहान दीपेंद्र के खिलाफ विभागीय जांच कराई गई थी।

सुरक्षा देने में आरआई को बताया दोषी

सीबीआई की पूछताछ में मंजिल सैनी ने अधीनस्थ अधिकारियों को दोषी बताया था। उन्होंने बयान दिया था कि पुलिस लाइन के तत्कालीन प्रतिसार निरीक्षक शिशुपाल सिंह को उन्होंने श्रवण साहू को सुरक्षा प्रदान कराने का मौखिक आदेश दिया था, जिसका प्रतिसार निरीक्षक ने पालन नहीं किया। वहीं, प्रतिसार निरीक्षक ने अपने बयान में मंजिल सैनी द्वारा कोई आदेश नहीं देने की बात कही थी। बाद में सीबीआई ने श्रवण साहू हत्याकांड में चार्जशीट दाखिल की, उनके बेटे के हत्यारोपी अकील समेत सात आरोपियों को दोषी ठहराया गया था।

 

कोर्ट के आदेश पर हुई थी सीबीआई जांच

सआदतगंज पुलिस ने इस मामले में अकील के साथ 7 लोगों (सत्यम पटेल उर्फ सत्यम चौधरी, अमन सिंह, अजय पटेल, फैजल उर्फ राजू, रोहित और बाबू खान) को आरोपी बनाया। अकील हत्या से पहले ही अपनी जमानत निरस्त करवा कर जेल चला गया था। बाकी 6 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। घटना के 20 दिन बाद यानी, 20 फरवरी को हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की। सीबीआई ने 11 मई 2017 को इस मामले में आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया। सीबीआई ने सत्यम चौधरी और अमन सिंह को आरोपी बनाया। जबकि, अकील, अजय पटेल, राजू और रोहित को हत्या की साजिश रचने, साक्ष्य मिटाने का दोषी करार दिया। सीबीआई ने बाबू खान को क्लीन चिट दी।