श्रीमद्भागवत कथा को जीवन में आत्मसात करने से कुल का उद्धार होता है : कथा व्यास पंडित संतोष मिश्र

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हरदोई।तहसील सवायजपुर क्षेत्र के गांव जनियामऊ में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन आज कथा व्यास पंडित संतोष मिश्र ने सूर्यवंशी,चंद्रवंशी राजाओं का वर्णन,वसुदेव देवकी विवाह, कंस का अत्याचार व भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा तथा भीष्म प्रतिज्ञा महाभारत की कथा सुनाई।

श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर कथा पंडाल को फूल मालाओं, खिलौनों व रंग बिरंगी रोशनियों से सजाया गया। श्री मिश्र ने कहा कि भारत की पवित्र माटी में मनुष्य का जन्म लेकर भी जो इस पुण्यदायिनी श्रीमद्भागवत कथा को नहीं सुनते उनका जीवन ही बेकार है और जिन लोगों ने इस कथा को अपने जीवन में आत्मसात कर लिया है तो मानो उन्होंने अपने माता-पिता और पत्नी तीनों के ही कुल का उद्धार कर लिया है।

श्रीमद्भागवत के सहारे से ही मनुष्य भगवान श्रीहरि विष्णु के परमधाम को प्राप्त होकर उनके प्रिय पार्षद बन जाते हैं और पुन: इस मृत्यु लोक में जन्म नहीं लेते। कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कथा व्यास ने कहा कि सुख-दुख दोनों मनुष्य के भीतर ही निवास करते हैं यदि दुख न हो तो सुख की कीमत का पता नहीं चलता। सुख तो एक क्षण का एहसास कराता है जबकि कोई न कोई दुख मनुष्य को घेरे ही रखता है।

इसलिए मनुष्य को अपना स्वभाव ऐसा बनाना चाहिए कि न दुख में अधिक दुखी हो और न ही सुख में अधिक सुखी। हमेशा ईश्वर का सुमिरण करते हुए अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए। कथा के बीच-बीच में उन्होंने कई प्रेरक प्रसंग सुनाते हुए भजनों से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध किया। कथा की आरती में श्याम जी शुक्ला समेत सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।