UP: पुलिस कमिश्नर की स्टडी जारी…सरकारी असलहे खामोश!  

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लखनऊ। सूबे की राजधानी लखनऊ में पुलिस कमिश्नरी लागू हुए करीब ढाई साल से अधिक समय बीत चुका है। इस दौरान सरकार की मंशा के अनुरूप कानून व्यवस्था पर नकेल कसने में कमजोर पड़े दो पुलिस कमिश्नरों को बाहर का रास्ता भी दिखाया गया।

वहीं अब राजधानी लखनऊ की कमान गत माह से इंटेलिजेंस में तैनात रहे एसबी शिरडकर को दी गई है। नवनियुक्त लखनऊ पुलिस कमिश्नर एसबी शिरडकर ने अपना पदभार ग्रहण करने के दौरान पत्रकार वार्ता के दौरान शहर की भौगोलिक परिवेश को समझने के साथ ही कानून व्यवस्था पर नकेल कसने के लिए समय की मांग की थी।

फिलहाल एक माह का समय बीतने वाला है। इस दौरान जोनवार पुलिस अफसरों से लेकर थाने स्तर पर पुलिस की कार्य प्रणाली में कई बदलाव दिखाई दिए। वहीं खास बात यह है कि बदमाशों पर तड़तड़ाने वाली सरकारी असलहे भी खामोश हैं।

शहर को समझने के साथ फूंक-फूंक कर रख रहे कदम

एक अगस्त को 1993 बैच के आईपीएस अफसर एसबी शिरडकर को लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की जिम्मेदारी सौंपी गई। इससे पहले एसबी शिरडकर अपर पुलिस महानिदेशक अभिसूचना यानी इंटेलिजेंस के पद पर तैनात थे। मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद वो पुलिस सेवा में काम करने की मंशा से अलग रास्ता चुना और आईपीएस बन गए। 6 सितंबर 1993 से लगातार एक आईपीएस के रूप में अलग-अलग जिम्मेदारियां संभालते हुए कार्य कर रहे हैं।

वहीं बीते एक माह से प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बेहतर पुलिसिंग की जिम्मेदारी को समझने के साथ की क्राइम कंट्रोल की रणनीति बनाकर अपराध के ग्राफ को कम करने और ट्रैफिक जाम के झाम से शहरवासियों को निजात दिलाने की मुहिम में जुटे हैं। पुलिस कमिश्नर की बेहतर रणनीति के तहत काम करने के तरीके से जहां एक छोटे-मोटे गुडवर्क दिखाकर वाहवाही लूटने वाले जिम्मेदार मातहत हांफ रहे हंै तो वहीं ईमानदारी से ड्यूटी करने वाले पुलिसजन गर्मजोशी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वाहन कर रहे हैं।

बेहतर कानून व्यवस्था के साथ जाम से राहत

आईपीएस अफसर एसबी शिरडकर ने लखनऊ पुलिस की कमान संभालते ही पत्रकार वार्ता के दौरान ही स्पष्टï कर दिया था कि उन दिनों भले की उनकी ट्रैनिंग लखनऊ में हुई थी लेकिन तब और अब के भौगोलिक  परिवेश के साथ ही क्राइम के तौर तरीकों में काफी बदलाव आया है। उन्होंने शहर को समझने के लिए समय की मांग की थी। करीब एक माह गुजरने वाले हैं। इस दौरान शहर के पांचों जोन में डीसीपी स्तर से लेकर सिपाही तक सड़क पर उतरकर कानून-व्यवस्था को मजबूती देने में जुटे हैं। जिसका नतीजा यह है कि जहां एक ओर सरेराह गोली मारकर हत्या जैसी जघन्य अपराधों में कमी आयी है वहीं दूसरी ओर शहरवासियों को ट्रैफिक जाम के झाम से काफी राहत मिली है।

सरेराह गोलियों की तड़तड़ाहट पर लगाम

बीते करीब एक माह में शहर में न तो सरेराह फायरिंग में किसी की हत्या नहीं हुई और न ही मुठभेड़ में सरकारी गोलियां तड़तड़ाई। बीते माह जुलाई में तीन मुठभेड़ हुए। जिसमें पांच बदमाश पुलिस के हत्थे चढ़े जबकि दो चकमा देकर भाग निकले। 25 जून को कैंट में रेलवे ठेकेदार वीरेन्द्र ठाकुर की हत्या के मामले में बीते 18 जुलाई को कैंट पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान शूटर कमलेश कुमार जायसवाल उर्फ बिट्टïू को गिरफ्तार कर लिया।

जबकि बाइक सवार दूसरा साथी भाग निकला। 24 जुलाई को इसी मामले में बाइक सवार तीन बदमाशों को डीसीपी प्राची सिंह के निर्देशन में कैंट पुलिस ने दबोच लिया। पुलिस की जवाबी फायरिंग में शूटर कासिफ, मुन्ना और फैजल के पैर में गोली लगी थी। वहीं इस मामले में मुख्य आरोपी फिरदौस और वीरेन्द्र की पहली पत्नी प्रियंका अभी फरार हैं।

इसके अलावा 30 जुलाई को डीसीपी पूर्वी प्राची सिंह के नेतृत्व में गोमतीनगर पुलिस ने 20 हजार के इनामी बदमाश सिराज उर्फ अब्दुल मन्नान निवासी मड़ियांव को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया है। जबकि उसका एक साथी भाग निकला। सिराज के बाएं पैर में गोली लगी थी। बदमाश के पास से एक तमंचा, कारतूस और सोने का हार बरामद हुआ था।

ढाई साल में हटाए गए दो पुलिस कमिश्नर

16 जनवरी 2020 को एडीजी स्तर के आईपीएस सुजीत पाण्डेय को लखनऊ कमिश्नरेट प्रणाली का पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया। सुजीत पांडेय 1998 में लखनऊ में एसपी सिटी के साथ ही कई जिलों के कप्तान रह चुके थे। सुजीत पाण्डेय ने अपने अनुभव के अनुसार जमीनी स्तर पर बेहतर पुलिसिंग की बावजूद उन्हें 10 माह के अन्दर ही हटाते हुए एटीसी सीतापुर भेज दिया गया।

इतना ही नहीं 18 नम्बर 2020 को ही लखनऊ के नए पुलिस कमिश्नर के रूप में डीके ठाकुर को आधी रात को ही चार्ज दे दिया गया। उनके हटाए जाने की वजह दिवाली से पहले लखनऊ के बंथरा में हुए जहरीली शराब कांड बनी। जिसमें आधा दर्जन लोगों ने जान गवाई थी।

वहीं बीते 31 जुलाई को तत्कालीन लखनऊ पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर को हटाते हुए उन्हें नई तैनाती न देकर प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया था। अधिकारिक सूत्रों की मानें तो डीके ठाकुर को ट्रैफिक मैनेजमेंट में लापरवाही पर हटाया गया। डीके ठाकुर लखनऊ के एसएसपी भी रह चुके हैं।

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