20 साल पहले गायब हुआ लड़का,अचानक पहुंचा घर बनकर सन्यासी

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उत्तर प्रदेश के अमेठी जनपद के एक गांव का एक विडियो सोशल मिडिया पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें एक व्यक्ति साधु के भेष मे है गाना गाकर भिक्षा मांग रहा है।ग्रामीणो के अनुसार वह बच्चा, लगभग 20 वर्ष पहले ज़ब ये ग्यारह वर्ष था। तब दिल्ली से अचानक कहीं गायब हो गया था। परिजनों द्वारा बहुत खोजबीन करने और थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई थी, लेकिन उस बच्चे का कोई सुराग नहीं लग पाया था।घरवालों को आशंका हुई शायद वह अब जिंदा नहीं है या फिर किसी दुर्घटना का शिकार हो गया होगा।लेकिन अचानक वही बच्चा 20-22 साल बाद वापस अपने घर जोगी बनकर लौटा। इस युवा जोगी का नाम पूर्व मे पिंटू सिंह बताया जा रहा है। दरअसल ग्रामीणो व परिजनों की माने तो साधू भेषधारी युवक ही खरौली निवासी रतीपाल सिंह का पुत्र पिंटू सिंह ही है।वहीं रतीपाल सिंह ने बताया कि यह मेरा ही बेटा है मै इसे पहचान गया हूं।और बचपन के चोट के निशान भी है मैंने उसे भी देखा और मेरे बेटे ने भी हम लोगों को पहचान लिया है। और उसने बचपन की कुछ बातें और यादें भी साझा किया है,लेकिन साधुओ की भिक्षा के लिए कुछ रूपये की मांग है 3 लाख 60 हजार रूपये गुरु महाराज को देना है। और कहा की इंतजाम कर लिया हूं कल जाकर अपने बेटे को लाऊंगा। दरअसल जोगियों की एक परंपरा व मान्यता है।संन्यास धारण करने के बाद, मां से भिक्षा पाना अनिवार्य है तभी कोई जोगी बन पाता है, जब उसे अपने माँ के हाथ से भिक्षा मिलती है। लिहाजा युवा जोगी अपने घर लौटा है अभी उसका संन्यास पूरा नहीं हुआ है। पर मां की आंखें उसे पहचान लेती है वर्षों बाद अपने जिगर के टुकड़े को दरवाजे पर देख मां का हृदय द्रवित हो उठा है नैन सजल हो उठे हैं,झर रहे हैं। बुआ भी बेज़ार रो रही हैं.मां और बुआ के करुण क्रंदन को देख जोगी का मन भी बिलख रहा है सारंगी भी रो रही है. कंठ से करूण रसधार फूट रही है वह गा रहा है. मां से भिक्षा की मांग कर रहा है।‘सुनऽ माताजी, सुनऽ बुआजी मोरे करम लिखा वैराग्य माई रे कोई न मेटनवाला

मोरे करम लिख वैराग्य माई रे 

माई, अपने हाथ से मुझे भिक्षा दे दो ताकि मेरा जोग सफल हो जाए मां कलप रही है।बुआ भी कह रही हैं तुम जोगी का भेष छोड़ दो। पूरा गांव उमड़ा है। आस-पड़ोस से लेकर घर-कुटुंब के लोग जोगी को मना रहे हैं मनुहार कर रहे हैं पर जोगी अपनी बातों पर अडिग है।कहता है अगर मुझे भिक्षा नहीं मिलेगी, तो मैं दरवाजे की माटी लेकर चला जाऊंगा पर अपने जोग साधना को खंडित नहीं होने दूंगा।