पुलिस कमिश्नर से लेकर हटाए गए जिम्मेदार पर नहीं सुधरी ट्रैफिक व्यवस्था
लखनऊ। सूबे की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री से लेकर राजनेताओं व अन्य वीआईपी मूवमेंट का आवागमन रहता है। इस बावत यातायात व्यवस्था पर शासन स्तर से भी नजर बनी रहती है। पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली लागू हुए करीब तीन साल से अधिक समय बीत चुके हैं। इस दौरान पुलिस कमिश्नर से लेकर डीसीपी ट्रैफिक तक बदले गए। बावजूद ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार कोसों दूर हैं।
आलम यह है कि वीआईपी चौराहों से लेकर अन्य चौराहों व तिराहों पर यातायात संचालन की जिम्मेदारी सिपाही से लेकर होमगार्ड पर है। जिसका खामियाजा शहरवासियों को घंटों टै्रफिक में फंसकर और चालान कटवा कर उठाना पड़ता है। खास बात यह है कि चालान काटने तक की जिम्मेदारी तक जिम्मेदारों ने होमगार्ड को दे रखी है। इतना ही नहीं गैरजनपद की नम्बर प्लेट लगी वाहनों को रोकने और फोटो चालान करने की भी अहम जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर ही रहती है।
शहर के मुख्य चौराहों में शुमार हजरतगंज चौराहे पर वीआईपी से लेकर आम शहरवासियों का आवागमन रहता है। चौराहे पर यातायात व्यवस्था का संचालन ट्रैफिक सिग्नल के माध्यम से होता है। पूरी व्यवस्था को संचालित करने के लिए ट्रैफिक इंस्पेक्टर से लेकर होमगार्ड समेत करीब दर्जनभर पुलिस कर्मियों की ड्यूटी चौराहे पर रहती है।
आलम यह है कि जिम्मेदार ट्रैफिक अफसर चौराहे पर बने यातायात बूथ में बैठे रहते हैं। वहीं होमगार्ड व सिपाहियों पर ट्रैफिक व्यवस्था के साथ ही ई-चालान की जिम्मेदारी रहती है। शुक्रवार को कुछ ऐसा ही नाजारा दोपहर करीब एक बजे दिखाई दिया जहां गैरजनपद की कार आते देख होमगार्ड आगे आकर कार को रोक लिया। जब तक चालाक कुछ समझ पता उसकी फोटो होमगार्ड ने मोबाइल में कैद कर ली।
हालांकि खुद को कैमरे में कैद होने की आशंका में वाहन चालक को बिना बूथ पर ले जाए छोड़ दिया। बतातें चले कि यह घटना मात्र एक बानगी है। इस तरह के नजारे शहरभर के चौराहों पर देखने को मिलता रहता है। जहां फोटो खींचने के बाद होमगार्ड उन्हें चौराहे पर बने यातायात बूथ पर लेकर जिम्मेदार साहब से मिलाता है। इसके बाद चालान करना या फिर छोडऩा यातायात बूथ के अंदर की तय होता है।
सिपाही व होमगार्ड नहीं काट सकते चालान
गौरतलब है कि डीजीपी ने आदेश जारी करते हुए यह स्पष्टï किया था कि वाहनों का चालान टीआई,टीएसआई या फिर मुख्य आरक्षी ही कर सकेंगे। आदेश में यह भी स्पष्टï किया गया था कि चालान करते समय टै्रफिक कर्मियों को बॉडी वार्न कैमरा लगाकर ही चालान किया जाए ताकि पारदार्शिता बनी रहे। इसके बावजूद जिम्मेदार अफसर नियमों को दरकिनार रखते हुए सिपाही से लेकर होमगार्ड को मोबाइल थमा कर ई-चालान काटवा कर नियमों की धाज्जियां उड़ा रहे हैं।
सिपाही को मोबाइल थमाकर जिम्मेदार पूरी कर रहे ड्यूटी
एक टै्रफिक सिपाही ने बातचीत के दौरान बताया कि उनके सीनियर अफसर उन्हें अपना मोबाइल थमा कर बूथ में बैठे रहते है या फिर कहीं इधर-उधर निकल जाते हैं। साथ ही हिदायत देकर जाते हैं कि मतलब भर का चालान काट देना। जिससे उनकी ड्यूटी की मुस्तैदी बनी रही।
तमाम प्रयासों के बावजूद नहीं आया सुधार
राजधानी में बीते कई वर्षों से कई नियमों को लागू करवाने के बावजूद भी ट्रैफिक पुलिस लोगों को जाम से निजात नहीं दिला पायी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाराजगी भी जता चुके हैं। पूर्व में राजधानी लखनऊ की खराब ट्रैफिक व्यवस्था के चलते पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी। बिगड़ी यातायात व्यवस्था को लेकर बीते 26 जून को दूसरी बार डीसीपी ट्रैफिक रईस अख्तर को हटाकर यातायात व्यवस्था की कमान आईपीएस आशीष श्रीवास्तव को दी गई है। बावजूद इसके ट्रैफिक व्यवस्था में कोई बेहतर सुधार नहीं दिखाई दे रहा है।
क्या बोले जिम्मेदार…
कानटेक्ट लैश ई-चालान प्रकिया की व्यवस्था की गई है। सिपाही व होमगार्ड ट्रैफिक इंस्पेक्टर की मदद के लिए फोटो खींच कर चालान में सहयोग कर सकते हैं। इंस्पेक्टर के लॉगिन आईडी से ही ई-चालान संभव है। पारदर्शिता बनी रहे इसलिए पुलिस कर्मियों को बॉडी वार्न कैमरा पहनना आवश्यक है।
आशीष श्रीवास्तव
डीसीपी ट्रैफिक , पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ