राजधानी में मिल रहे महिलाओं के शव, नहीं हो पा रही शिनाख्त
लखनऊ। सूबे में महिलाओं व बालिकाओं की सुरक्षा,सम्मान और स्वावलम्बन के लिए नवरात्रि के अवसर पर मिशन शक्ति का विशेष अभियान फेज-4 का शुभारंभ सरकार ने भले ही कर दिया हो लेकिन जमीनी हकीकत में महिलाओं की संदिग्ध मौत के ग्राफ कुछ और ही बयां कर रही हैं।
राजधानी लखनऊ में आए दिन नदी,नहर और झांडिय़ों में महिलाओं के शवों का मिलने का सिलसिला जारी है। वहीं जिम्मेदार अफसर थोड़ी बहुत मशक्कत कर शवों की शिनाख्त कराने का प्रयास करते हैं लेकिन असफलता के साथ ही कागजी कार्रवाई करते हुए शवों का अंतिम संस्कार कर फाइल बंद कर दाखिल दफ्तर कर देते हैं। नतीजतन अज्ञात मिले महिला की मौत के राज तफ्तीश के पन्नों में दफन होकर रहे जाते हैं। वहीं कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ाते हुए हत्यारे अपराधियों के लिए नजीर साबित होते हैं।
नहर का पानी कम होते ही मिले दो महिलाओं के शव
13 अक्टूबर को गोसाईगंज गांव भटावारा के पास इंदिरा नहर का पानी कम होने पर मछुवारों को बक्से मे बंद 40 वर्षीय एक अज्ञात महिला का शव मिला। वहीं 14 अक्टूबर को इन्दिरा नहर में
सिठौली कला गांव के पास 30 वर्षीय अज्ञात महिला का शव मिला। दोनों शवों की पहचान नहीं हो पायी। गोसाईगंज कोतवाली प्रभारी दिनेश चंद्र मिश्र का कहना है कि शव करीब एक सप्ताह पुराना होने का अनुमान लगाया जा रहा है। संभवता पानी में बहकर शव कही से आया है।
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शव की शिनाख्त करवाना पुलिस के लिए चुनौती
पुलिस अफसरों के मुताबिक कोई भी शव पुलिस को मिलता है तो शव को तीन दिन तक पोस्टमार्टम में सुरक्षित रखवाया जाता है। आसपास के जिलों में भी वायरलेस कर और फोटो के जरिए शव की पहचान कराने की कोशिश की जाती है। शव की शिनाख्त करना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती होती है। तीन दिन के बाद बाद भी शिनाख्त नहीं होती तो पुलिस द्वारा शव का अंतिम संस्कार या फिर सिपुर्द-ए-खाक कर दिया जाता है।
ऑनर किलिंग के मामलों में होती है ज्यादा दिक्कत
ऑनर किलिंग के मामले में पुलिस को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। वहीं कई ऐसी घटनाएं भी सामने आयी हैं। जहां परिजनों ने ही अपने परिवारिक सदस्य की हत्या कर शव को ठिकाने लगा दिया। इसके बाद परिजनों ने चुप्पी साध ली। न तो वह तलाशने की कोशिश करते है और न ही किसी प्रकार की गुमशुदगी दर्ज करते हैं। साल छह महीने बाद पड़ोसियों के माध्यम से पता चलता है कि घर के सदस्य लापता है। इसके बाद पुलिस पूछताछ करती है तब जाकर वारदात का पर्दाफाश होता है।
एनसीआरबी का खंगाला जाता डाटा
पुलिस जिस वक्त अज्ञात शव बरामद करती है। तब जिले के सभी थानों से दर्ज गुमशुदगी की रिपोर्ट मांगी जाती है। इसके बाद भी शिनाख्त नहीं होती तो पुलिस स्टेट क्राइम रिकॉर्ड की मदद लेती है। जहां पर मृतक पर अनुमानित उम्र और हुलिये का फोटो मिलान कराया जाता है। जिसमें एक लम्बा समय लग जाता है। अगर तब भी शिनाख्त नहीं हो पाती तब नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के जरिए शिनाख्त कराने का प्रयास किया जाता है। जिसमें भी राज्यों में दर्ज गुमशुदगियों पर पूरा ब्यौरा होता है। जिनकी लम्बी तफ्तीश चलती है, जिससे लोगों को लगता है कि केस डंप हो चुका है। मगर पुलिस लगातार छानबीन करती रहती है।
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इन महिलाओं के शवों की नहीं हो सकी शिनाख्त
1 -28 अगस्त 2017 को हसनगंज गोमती किनारे बोरे में मिला महिला का शव
2- 31 मार्च 2018 को गुडम्बा थानाक्षेत्र के रजौली नहर में एक युवती का शव मिला
3- 22 जनवरी 2019 को इकाना स्टेडियम के समीप ट्राली बैग में मिला युवती का शव
4- 6 सितंबर 2019 को दुबग्गा इलाके में एक युवती (25) का शव बरामद
5- 20 अक्टूबर 2020 को काकोरी जेहटा में एक गर्भवती का शव पुलिस ने किया बरामद
6-26 अक्टूबर 2020 को काकोरी मौंदा रोड पर खेत किनारे एक महिला का शव बरामद
7- 20 मार्च 2022 को ठाकुरगंज घैला पुल के समीप एक महिला (30) का अधजला मिला शव
8-29 अप्रैल 2021 को चिनहट थानाक्षेत्र अन्तर्गत मल्हौर में युवती (27)का शव बोरे से बरामद
9- 2 फरवरी 2023 को इकाना स्टेडियम के पीछे झीलनुमा तालाब में युवती (22) का शव बरामद
10- 4 मार्च 2023 को गोसाईगंज स्थित रेलवे ट्रैक पर महिला (38) की सिर कटी लाश मिली
11- 20 मई 2023 को हजरतगंज के संकल्प वाटिका के पास नदी में महिला (35) का शव मिला